ग़ज़ल: प्यार की है फिर ज़रूरत दरमियाँ
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प्यार की है फिर ज़रूरत दरमियाँ
हर तरफ हैं नफरतों की आँधियाँ
नफरतों में बांटकर हमको यहाँ
ख़ुद वो पाते जा रहे हैं कुर्सियाँ
खुलके वो तो जी रहे हैं ज़िन्दग...
दैनिक जागरण में "हिंदी से हिकारत क्यों?"
समाचार पत्र "दैनिक जागरण" के सम्पादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित मेरा लेख.
हिंदी से हिकारत क्यों?
24 फरवरी 2011
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हरिभूमि में: गरीब सांसदों को सस्ता भोजन
दैनिक समाचार पत्र "हरिभूमि" में मेरा व्यंग्य:
गरीब सांसदों को सस्ता भोजन
1 फ़रवरी 2011
गरीब सांसदों को सस्ता भोजन
1 फ़रवरी 2011
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