ग़ज़ल: प्यार की है फिर ज़रूरत दरमियाँ
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प्यार की है फिर ज़रूरत दरमियाँ
हर तरफ हैं नफरतों की आँधियाँ
नफरतों में बांटकर हमको यहाँ
ख़ुद वो पाते जा रहे हैं कुर्सियाँ
खुलके वो तो जी रहे हैं ज़िन्दग...
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