"हमारी अंजुमन" के लिए लिखा मेरा लेख दैनिक जागरण ने दिनांक 10 जुलाई को अपने राष्ट्रिय संस्करण में "आस्था का सवाल और धर्म परिर्वतन" शीर्षक के साथ प्रष्ट नंबर 9 (विमर्श) के कॉलम "फिर से" पर प्रकाशित किया.
ग़ज़ल: प्यार की है फिर ज़रूरत दरमियाँ
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प्यार की है फिर ज़रूरत दरमियाँ
हर तरफ हैं नफरतों की आँधियाँ
नफरतों में बांटकर हमको यहाँ
ख़ुद वो पाते जा रहे हैं कुर्सियाँ
खुलके वो तो जी रहे हैं ज़िन्दग...
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